हाँ मेरे गाँव में खेल मैदान हैं
मेरा ऐतिहासिक गांव सिनसिनी , मेरा जन्म इसी गांव की मिट्टी में हुआ और यही पर मेरा लालन - पालन हुआ । बचपन से ही मुझे अपने गांव के राजा महाराजों के बारे में बताया जाता जिसे सुनकर मुझे गर्व होता था । मुझे गांव के खेल मैदान के बारे में भी बताया जाता ।बाद में जब मैं उसी मैदान में खेलकूद कर बड़ा हुआ तो उस मैदान के बारे में कुछ बातें अपने गांव के बुजुर्गों से सुनी , बुजुर्ग लोगो ने बताया कि मैदान के लिए 25 बीघा जमीन गांव के ही लम्बरदार श्री छिद्दा सिंह जी ने समाज को दान की ।
आज ये मैदान शायद 25 बीघा से बहुत कम रह गया हैं इसका एक कारण किसी की इस तरफ नजर ही नही गयी। आज तक इस मैदान में सिर्फ चार दिवारी के अलावा नाम मात्र का भी विकास नही हुआ ।उल्टा उस मैदान में एक बहुत बड़ा गड्डा जिसका आकार एक छोटे तालाब जैसा जितना हैं हो गया हैं ।या यूं कहूँ की समाजकंटको की बजह से हुआ तो थो इसमें कुछ गलत नही होगा ।ये गड्डा मेरे उन नौजवान को रोज़ चिढ़ाता हैं जो उसमें दिन रात मेहनत करते हैं, खेलते हैं ।
इस गड्ढे को मिटाने के लिए मेरे द्वारा एक पहल की गई, मैं अपने साथ 10 -12 भाइयो को लेकर अटल सेवा केंद्र गया जहाँ में माननीय सरपंच महोदय जी से खेल के मैदान के विषय पर मिला और सही कराने के लिए बताया ,वहां पर बैठे मेरे एक बुजर्ग दादा जी ने हमे ये कहकर चुप करा दिया कि बेकार की बातों को यहाँ तक मत लाया करो हालांकि में उनका इस मंच से नाम नही लूंगा लेकिन फिर भी मैं आज उनसे पूछता हूँ जनाव मैदान सही हो जाने से आपको क्या नुकसान या डर हैं ।खेर छोड़ए इन बातों को मैं उनकी बातों से डरा नही और सरपंच सहाब से उसी अंदाज में खेल का मैदान सही कराने के लिए कहा हालांकि सरपंच सहाब ने हमे आश्वासन दिया कि उसे हम सही कर देंगे ।कुछ दिन बाद उन्होंने अटल सेवा केंद्र पर हम सब को बुलाया और बताया कि मेरे जरिये उन गड्डों को भरने के लिए 25 से 30 हजार रुपये की धनराशि व्यय की जा सकती है। हमें थोड़ी आस बंधी परन्तु न जाने किस रुकावट के कारण ये पैसे भी मैदान के गड्ढे नही भर सके ।
आज भी ये मैदान विकास की राह देख रहा हैं कि कौनसा दिन होगा जब ये मैदान खुशहालियो से हरा - भरा होगा ।
"लेखक -ऊधम सिंह"

"लेखक -ऊधम सिंह"
Shandar bichar h udham bhai ke
ReplyDeletebhuat achha
ReplyDeleteऔर सुझाव दे ।
ReplyDeleteMandir ke leye bhi to Kuch Kaho na wo bhi to Nahi Bana jabki Khub paise Aaye they
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